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Rj Nidhi Sharma - A podcast by Rj Nidhi

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फिल्म 'गाइड' देव आनंद के लिए वो सौगात लेकर आई। हिंदी सिनेमा की

आइकॉनिक फिल्म के रूप में 'गाइड' को जाना जाता है। फिल्म की कहानी से

लेकर गाने तक सब हिट रहे थे. यह साल 1965 की सबसे ज्यादा चर्चित फिल्म

रही. फिल्म ने कई अवॉर्ड्स अपने नाम किए थे. ‘गाइड’ ने बेस्ट एक्टर, एक्ट्रेस,

डायरेक्टर समेत कुल 9 कैटेगरी में फिल्मफेयर अवॉर्ड्स जीते. इसके अलावा

शिकागो फिल्म फेस्टिवल में अवॉर्ड्स जीते.

गाइड’ को भारत की तरफ से बेस्ट फॉरेन लैंग्वेज फिल्म की कैटेगरी में 38वें

अकादमी अवॉर्ड्स के लिए नॉमिनेट किया गया था. हालांकि अकादमी ने इसे

स्वीकार नहीं किया. हालांकि फिल्म को दुनियाभर में खूब सराहा गया. आपको

जानकार हैरानी होगी कि देव आनंद की यह फिल्म जाने माने NOVEL WRITER

आरके नारायण के नॉवेल पर BASED थी. उनका NOVEL- ‘द गाइड’ साल 1958

में आया. नॉवेल में एक राजू नाम के गाइड की भुमिका थी, तो शरारती और

बदमाश होता है लेकिन बाद में भारत सबसे बड़ा साधू बन जाता है. फिल्म में भी

कुछ इसी तरह दिखाया गया है. ‘द गाइड’ के लिए आरके नारायण को साहित्य

अकादमी अवॉर्ड से नवाजा गया था. इस किताब को साल 2022 में प्लेटिनम

जुबली ऑफ एलिजाबेथ के सेलिब्रेशन में शामिल किया गया था. यह सेलिब्रेशन कॉमनवेल्थ देशों के बीच हुआ और इसमें दुनिया की 70 किताबें शामिल की गई थीं.


बात करें FILM की कहानी की तो गाइड' फिल्म में राजू का किरदार निभा रहे देव

आनंद जेल से रिहा हो रहे हैं और फिर कहानी फ्लैशबैक में चली जाती है. राजू

एक गाइड हैं, जो पर्यटकों को ऐतिहासिक जगहों को घुमाकर अपनी कमाई करता

है. एक दिन एक अमीर और बूढ़ा archaeologist मार्को अपनी young पत्नी रोजी

के साथ शहर में आता है. रोजी का रोल वहीदा रहमान ने निभाया. मार्को शहर के

बाहर गुफाओं में कुछ Research करना चाहता है और अपने गाइड के रूप में राजू

को काम देता है. वह एक नई गुफा का पता लगाता है और अपने काम में इतना

खो जाता है कि रोजी पर ध्यान नहीं देता.

जब मार्को गुफा की खोज में लगा हुआ है राजू रोजी को सैर सपाटे के लिए ले

जाता है. दोनों मे दोस्ती हो जाती है. रोजी राजू को बताती है कि वह एक वेश्या की

बेटी है और समाज में सम्मान हासिल करने के लिए मार्को की पत्नी बनी है. उसे

डांस पसंद है और मार्को को सख्त नापसंद. 1 दिन रोजी गुफा में जाती है और

मार्को को एक आदिवासी लड़की के साथ देख लेती है, इसको लेकर काफी

कहासुनी होती है. फिर वो जान देने की कोशिश करती है.

मरने जा रही ROSY को राजू समझाता है और अपने घर लाता है, काफी बवाल

होता है, लेकिन वह रोजी के सपनों को पूरा करने में मदद करता है. नाटकीय मोड़

लेते हुए आखिर में अकाल पड़ने पर राजू को लोग महात्मा समझने लगते हैं,

बारिश के लिए 12 दिन का उपवास रखता है, लोगों की उसमे श्रद्धा बढ़ जाती है,

आखिरकार बारिश होती है लेकिन राजू की मौत हो जाती है.

विदेशी डायरेक्टर टैड डैनिएलेवेस्की ने इस कहानी पर फिल्म बनाने का फैसला किया और देव आनंद को लीड रोल के लिए ऑफर दिया, देव आनंद को जमा नहींलिहाजा बात खत्म हो गई. बर्लिन फेस्टिवल में दोनों की फिर मुलाकात हुई औरफिर फिल्म बनाने का प्रस्ताव टैड ने रख दिया. इसी दौरान के आर नारायण कीद गाइड के बारे में किसी ने देव आनंद को बताया था, कहते हैं कि किताब मिलतेही एक बार में पूरा पढ़ डाला और पर्ल एस बक को फोन कर फिल्म बनाने की रजामंदी दे दी. अंग्रेजी में तो टैड के डायरेक्शन में ‘द गाइड’ बनी लेकिन हिंदी मेंभारतीय दर्शकों की संवेदनाओं के हिसाब से फिल्म डायरेक्टर विजय आनंद नेथोड़े फेर-बदल करते हुए फिर से लिखा था.

आपको जानकर हैरानी होगी की आर के नारायण को हिंदी वाली ‘गाइड’ पसंद

नहीं आई थी, जबकि इसी के लिए बेस्ट स्टोरी का अवॉर्ड उन्हें मिला. बता दें कि

‘गाइड’ का डायरेक्शन पहले देव आनंद के बड़े भाई चेतन आनंद करने वाले थे

लेकिन फिल्म की एक्ट्रेस वहीदा रहमान को लेकर वह अड़ गए. उनका कहना था

कि वहीदा अंग्रेजी ठीक से बोल नहीं पाती हैं, लेकिन देव आनंद ने कहा कि रोजी

के रोल में वहीदा ही रहेंगी, वहीं चेतन की टैड से भी जम नहीं रही थी. खैर वह

दूसरी फिल्म की शूटिंग में बिजी हो गए और फिर राज खोसला को डायरेक्टर

बनाने की बात हुई तो वहीदा रहमान उनके साथ कंफर्टेबल नहीं थी, फाइनली इस फिल्म का निर्देशन विजय आनंद के पास आया और वह बन गए बॉलीवुड के

बेस्ट डायरेक्टर. बताया जाता है कि दिग्गज अदाकारा शायरा बानो को ये फिल्म हिंदी और

इंगलिश दोनों वर्जन के लिए ऑफर हुई थी, लेकिन किसी कारण वह ये मूवी नहीं कर पाई थीं।


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